" ओह , ये बच्चे भी ना !
घर में सभी सो गए हैं । जाग रही है एक माँ ! क्यूंकि उसका जवान होता बेटा अभी घर नहीं लौटा है। किसी दोस्त के जन्म दिन की पार्टी है। जब भेज ही दिया तो चिंता क्यों कर रही है ?
क्यों ? चिंता क्यूँ ना करे !
अरे भई माँ है वो ! जमाना खराब है। कोई गलत राह पर डाल दे तो ! उलटे -सीधे काम सीख गया तो !
" हैं !! उलटे -सीधे काम ? "
" हाँ ,यही कि कोई नशा ! "
" नशा !! "
जैसे सिगरेट , शराब या और कोई बुरी लत।
"ओह्ह नहीं !! " उठ बैठी वह। मन आशंका घबराने लगा।
तभी दरवाज़ा खुलने और चिटकनी लगने की आवाज़ से आश्वस्त हो गई। लेट गई। फिर सोचा कि अभी डांट लगाती हूँ। कुछ सोच कर रुक गई। उचित समय का इंतज़ार करने लगी। लगभग आधे-पौने घंटे से तो ऊपर समय हो ही गया होगा।
वह धीरे से उठी और बेटे के कमरे की तरफ चली। धीरे से दरवाज़ा खोला। झांक कर देखा तो बेटा गहरी नींद में सो गया था।
" सोते हुए कितना प्यारा लग रहा है मेरा लाल ! थक जाता होगा। कितनी मेहनत करता है। सुबह स्कूल , फिर दोस्तों के साथ घूमना, ट्यूशन जाना ,पढाई करना।
हां ! मोबाईल भी तो है। इस पर भी तो कितनी दिमाग खपाई होती है। बहुत सारा प्यार आया कि सर सहला कर माथे पर ढेर सारा प्यार उंडेल दे।
लेकिन वह तो किसी और काम आयी थी। ऐसे तो वह जाग जायेगा। वह झुकी और सूंघने की कोशिश करने लगी कि कोई बू तो नहीं आ रही।
कोई बू नहीं आई।
" बू कैसे नहीं आई भला ! "
" माँ को जुखाम लगा है शायद !! "
फिर कोशिश की। इस बार भी नहीं आई बू ! ऐसा कैसे हो सकता है , इतनी देर रात तक बाहर रहा और कोई बू नहीं ! जरूर माँ को नज़ला हो गया है !
अब अगली कोशिश मोबाईल ढूंढने की। सरहाने के नीचे दबा कर रखा होगा। धीरे से सरहाने के नीचे हाथ सरकाने की कोशिश की।
" अरे वाह, मिल गया ! " जीत जाने की ख़ुशी का सा भाव। मोबाईल में देखना था कि वह किस से बातें करता है। कोई लड़की तो नहीं !
वैसे फोन टटोलने की यही मुख्य वजह थी। फोन तो मिल गया ! पासवर्ड नहीं मालूम !
कई देर कोशिश की लेकिन कोई नतीजा नहीं। फिर देखा कि फोन की बैटरी लो हो रखी है। बच्चे को सुबह मुश्किल होगी। फोन चार्ज पर लगा कर बेटे का सर सहला कर मन ही मन बुदबुदाती हुई कमरे से बाहर आ गई आ गई।
" ओह , ये बच्चे भी ना ! जरा सा विश्वास नहीं बड़ों पर ! अब हमें इनके फोन से क्या ? "
घर में सभी सो गए हैं । जाग रही है एक माँ ! क्यूंकि उसका जवान होता बेटा अभी घर नहीं लौटा है। किसी दोस्त के जन्म दिन की पार्टी है। जब भेज ही दिया तो चिंता क्यों कर रही है ?
क्यों ? चिंता क्यूँ ना करे !
अरे भई माँ है वो ! जमाना खराब है। कोई गलत राह पर डाल दे तो ! उलटे -सीधे काम सीख गया तो !
" हैं !! उलटे -सीधे काम ? "
" हाँ ,यही कि कोई नशा ! "
" नशा !! "
जैसे सिगरेट , शराब या और कोई बुरी लत।
"ओह्ह नहीं !! " उठ बैठी वह। मन आशंका घबराने लगा।
तभी दरवाज़ा खुलने और चिटकनी लगने की आवाज़ से आश्वस्त हो गई। लेट गई। फिर सोचा कि अभी डांट लगाती हूँ। कुछ सोच कर रुक गई। उचित समय का इंतज़ार करने लगी। लगभग आधे-पौने घंटे से तो ऊपर समय हो ही गया होगा।
वह धीरे से उठी और बेटे के कमरे की तरफ चली। धीरे से दरवाज़ा खोला। झांक कर देखा तो बेटा गहरी नींद में सो गया था।
" सोते हुए कितना प्यारा लग रहा है मेरा लाल ! थक जाता होगा। कितनी मेहनत करता है। सुबह स्कूल , फिर दोस्तों के साथ घूमना, ट्यूशन जाना ,पढाई करना।
हां ! मोबाईल भी तो है। इस पर भी तो कितनी दिमाग खपाई होती है। बहुत सारा प्यार आया कि सर सहला कर माथे पर ढेर सारा प्यार उंडेल दे।
लेकिन वह तो किसी और काम आयी थी। ऐसे तो वह जाग जायेगा। वह झुकी और सूंघने की कोशिश करने लगी कि कोई बू तो नहीं आ रही।
कोई बू नहीं आई।
" बू कैसे नहीं आई भला ! "
" माँ को जुखाम लगा है शायद !! "
फिर कोशिश की। इस बार भी नहीं आई बू ! ऐसा कैसे हो सकता है , इतनी देर रात तक बाहर रहा और कोई बू नहीं ! जरूर माँ को नज़ला हो गया है !
अब अगली कोशिश मोबाईल ढूंढने की। सरहाने के नीचे दबा कर रखा होगा। धीरे से सरहाने के नीचे हाथ सरकाने की कोशिश की।
" अरे वाह, मिल गया ! " जीत जाने की ख़ुशी का सा भाव। मोबाईल में देखना था कि वह किस से बातें करता है। कोई लड़की तो नहीं !
वैसे फोन टटोलने की यही मुख्य वजह थी। फोन तो मिल गया ! पासवर्ड नहीं मालूम !
कई देर कोशिश की लेकिन कोई नतीजा नहीं। फिर देखा कि फोन की बैटरी लो हो रखी है। बच्चे को सुबह मुश्किल होगी। फोन चार्ज पर लगा कर बेटे का सर सहला कर मन ही मन बुदबुदाती हुई कमरे से बाहर आ गई आ गई।
" ओह , ये बच्चे भी ना ! जरा सा विश्वास नहीं बड़ों पर ! अब हमें इनके फोन से क्या ? "
माँ ऐसी ही होती हैं बहुत सटीक सन्दर्भ लिया है आपने
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कहानी.मां तो हमेशा बच्चों के लिए अच्छी होती हैं.बच्चे ही कहाँ समझ पाते हैं?
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : शंका के जीवाणु
बहुत ही उत्कृष्ठ रचना प्रस्तुत की है आपने। यह पूरी तरह सार्थक है।
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