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बुधवार, 21 मार्च 2012

प्रद्युमन

मेरा बेटा प्रधुमन शरारती और नटखट ,बिलकुल कान्हा जैसा ,15 साल का हो गया है फिर भी शरारतें कम नहीं होती .
पिछले बुधवार को मुझ से कहने लगा कि मैं कार चला रहा हूँ और जल्दी से बाहर भागा ...और कार स्टार्ट कर ली ,सुन
कर मैंने दीवार के उपर से ही आवाज़ दी अरे रुको ....पर वो नहीं रुका ...मैं भाग कर बाहर की तरफ भागी वो जा चुका था ;बाहर जा कर देखा तो अरुंधती और मोनिका हंस रही थी कि प्रधुमन कार  ले कर चला गया ,पहले वो दोनों भी बैठने वाले थे पर ऊनको शर्म आ गयीकि एक बच्चा ही कार चला रहा है और बच्चे ही बैठे हैं.लेकिन कार मे दीपू और अम्बरीश भी बैठे है ;मेरी घबराहट के मारे जान निकली जा रही थी और मैं वहीँ दरवाज़े के बाहर बैठ गयी .....और सोचने लगी कि अगर कहीं कार किसी से टकरा गयी तो ....किसी को टक्कर ही मार दी तो ...ना जाने कितने "तो "........मेरे दिमाग मे चक्कर लगा रहे थे .

१० मिनिट बाद अरुंधती बोली कि "बड़ी मम्मी " वो आ रहा है .मैं भागी पर वह तो सररर ....से निकल गया ;मेरे चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी . इतने में वह दूसरी तरफ से आता दिखा .....मेरी जान में जान आयी.
यह १० मिनिट कैसे निकले यह मैं ही जानती हूँ ....कितने ही गायत्री मंत्र -- महा मर्त्युन्जय मन्त्रों का जाप कर दिया........अगर वह थोड़ी देर और नहीं आता तो मैं १६ सोमवार के व्रत भी बोल देती ..
  हाँ तो , उसने कार पास ला कर रोकी और उतर कर मेरा पास आया .
   मुझे लग रहा था कि वो कार से नहीं हवाई -जहाज से उतर कर आया है मुझे बहुत ख़ुशी और राहत महसूस  हो रही थी पर मैंने प्रकट नहीं कि बल्कि उसे डांट ही लगाईं .
     लेकिन उसे कोई फर्क नहीं...चेहरे पर वही शरारती मुस्कान . आगे बढ़ कर गले लग गया और बोला मन ही मन तो बड़े खुश हो रहे हो ना ,आपका बेटा कार चलाना सीख गया .
     शाम को कहने लगा  कि मुझे प्रधान -मंत्री का फ़ोन नंबर चाहिए .पूछने पर बोला कि मैं उनसे कहूँगा "ड्राइविंग -लाइसेंस कि उम्र 16 साल कर देनी चाहिए .अब  मैं 16 साल का हो जाऊंगा और मुझे कार चलानी आगई है ! "
     मेरे पास कोई जवाब नही था.
मुझे क्या कहना चाहिए था ?

शुक्रवार, 2 मार्च 2012

कन्फ्यूजन


जब से मेरी एक सज्जन से बहस हुयी है, मैं कन्फ्यूजन में हूँ कि क्या मेरे सचमुच  माइंड नहीं है ??? उन सज्जन से मेरी मुलाकात सिर्फ फेसबुक पर ही हुयी और वो एक बहुत बड़ी संस्था से संम्बंध रखते है ........
एक  दिन वो अचानक मुझसे मेरा हाल -चाल पूछने के बाद मुझसे पूछने लगे कि क्या आप सुखी हो ??? मैंने कहा जी हाँ !
वो बोले पूरा सच बताना ,मैंने कहा जी हाँ पूरा का पूरा सच !! मैं सुखी हूँ .......
तो कहने लगे कि क्या आप भगवान को मानते है ,तो मैं बोली कि जी हाँ मैं शिव जी कि भक्त हूँ .........तो उन्होंने मुझसे शिव जी से सम्बन्धित कई सारे सवाल किये ,मैंने सारे जवाब दे दिए ....तो उन्होंने कहा कि बातें बनाने में आज-कल सभी स्मार्ट है ........!! लो करलो बात अब मैंने सारे जवाब सही दे दिए तो मैं बातें बनाने लगी ..अब उनको क्या पता कि शिव जी मेरे साथ पिछले 29 सालों से है (वैसे तो हर जन्म से कृपा है उनकी पर,.. इस जन्म मैं मुझे 7july 1982 से कृपा महसूस होने लगी है ),......
फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि इस संसार में सुख ज्यादा है या दुःख ......तो मैंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि कोई भी इंसान दुखी है ,सबके आपने -अपने सुख है ,अगर कोई भी दुखी भी है तो वो दुसरे के सुख से ,तो वो बोले कि सिस्टर आपके माइंड ही नहीं है आप क्या बोल रही है ??? फिर मैंने भी बहस की उनसे कुछ देर तक............!!
मैं अधिकतर चुप ही रहती हूँ और शांत भी ,पर एक ओसामा मेरे भीतर भी निवास करता है जो कभी -कभी मुझ पर हावी हो जाता है तो वो मुझमे कुलबुलाने लगा था फिर मैंने ओसामा को शांत करते हुए उन सज्जन से बात बंद कर दी ...
अगले दिन जब मैंने उनको फिर से ऑन-लाइन  देखा तो मुझे थोडा अफ़सोस सा हुआ कि मुझे बहस नहीं करनी चाहिए थी पता नहीं क्या ज्ञान देने वाले थे ...तो मैंने क्षमा मांगते हुए बात करनी चाही तो ,सबसे पहले अपनी खुद की तारीफों के पुल बाँध दिए ......फिर बोले अच्छा सिस्टर बताओ की भगवान क्या है ??
  मैंने कहा आप ही बता दीजिये ,वो बोले क्यूँ आपको नहीं पता मैंने कहा जो मुझे पता है हो सकता वो आपको पसंद ना आये ...तो उन्होंने कहा कि नहीं आप ही बताओ ,फिर मैंने कहा तो सुनिए..........
  आज -कल भगवान् कुछ भी नहीं है .सबके अपने -अपने भगवान है नेता का कुर्सी ,बच्चे का माँ ,एक भिखारी का भीख ,एक औरत का उसका पति ही भगवान् है ,जो मंदिर में भगवान है उसको कौन पूछता है ....इस मतलबी दुनिया के मतलब के ही भगवान्  है मैं आगे ही बोलने वाली थी कि वो जोर से बोले (जोर से मतलब है कि उनकी लिखावट छोटी abcd से बड़ी ABCD में आगई थी )........सिस्टर आपका कुछ भी नहीं हो सकता .........आपके सचमुच ही माइंड नहीं है !!!!!


अब तो मेरा ओसामा भी जाग गया ,मैं कुर्सी से उठ कर संजय जी के पास गयी और कहा कि क्या सचमुच मेरे माइंड नहीं है ???उन्होंने अखबार से चेहरा उठा कर बोले "देवी यह कहने कि क्या  मुझमे सचमुच हिम्मत है "!! 
और मैं बिना बोले वापस कुर्सी पर बैठ कर उन सज्जन को बिना कहे कुछ भी आउट कर दिया ........!!
पर कन्फ्यूजन अभी भी बरकरार है ..........!!!!

शिवानी का टुनटुनवा


      शिवानी  आज सुबह से मन ही मन बहुत खुश थी। रात को  अच्छे से नींद भी नहीं आयी फिर भी एक दम तरो-ताज़ा लग रही थी। पूजा पाठ में भी मन नहीं लग रहा था।  बार -बार ध्यान अपने कमरे में रखे हुए बॉक्स पर जा रहा था जो  उसके पति ने गिफ्ट दिया था।
     रोज़ स्कूल जाने की जल्दी में वह पूजा -पाठ में समय दे नहीं पाती इसलिए रविवार को आराम से बैठ कर अपने प्रभु की सेवा करती है। लेकिन  आज वह इसमें भी ध्यान नहीं लगा पा रही थी  सो बस अपने प्रभु से माफ़ी मांग कर एक दो घंटी की आवाज़ सुना कर जल्दी से खड़ी होगई।  
    बहादुर को चाय कमरे में ही दे जाने को कह भागती हुई सी कमरे में पहुंची और बेड पर बैठ कर बॉक्स को खोला और उसमे रखे हुए मोबाइल फोन को बाहर निकला, ऐसे जैसे कोई हीरे की अंगूठी ही हो !
    और फिर अपनी डायरी में लिखे फोन -नम्बर को एक -एक कर के फीड करने लगी अपने मोबाइल में। जब सभी नंबर एड कर दिए तो एका-एक अपने पति पर प्यार उमड़ आया और कुछ नहीं सूझा तो "आई लव यू"ही लिख दिया अपने मेसेज -बॉक्स में और भेज दिया। 

 पर यह क्या मेसेज भेजते ही तो उसको लगा कि यह तो गलत हो गया क्यूँ कि वह पति की जगह उसके स्कूल के शिक्षा -अधिकारी को चला गया। उसके तो चेहरे का रंग ही उड़ गया , "अरे !ये क्या कर दिया !!"
सोच ही रही थी कि सन्देश का जवाब भी आ गया "आई लव यू टू !" यह  देख कर शिवानी के तो होश ही उड़ गए।  कुछ सोचती , एक और सन्देश "आप कौन है !" भी आ गया। 
   अब तो शिवानी  का दिल बैठा जा रहा था कि अरे आज मैंने क्या कर दिया। तभी फोन भी टुनटुना  उठा शिवानी  ने देखा उन्ही शिक्षा अधिकारी का फोन था और उसके हाथ से फोन गिर गया जैसे कोई करंट ही लगा हो। घंटी बज कर बंद हो गयी तो वह जल्दी से  उठी , फोन को अलमारी में अपने कपड़ों के नीचे रख कर अलमारी को कस के बंद कर दिया  और बैठ गयी। 
उसकी चाय के साथ उसका उत्साह भी ठंडा पड़  गया।
      थोड़ी देर बाद धीरे से उठी और अलमारी के पास जा कर कान लगा कर सुनने लगी तो जल्दी से घबराकर पीछे हो गयी क्यूँ कि फोन अभी भी टुनटुना रहा था। वह  जल्दी से अपने कमरे के बाहर हो गयी और अपने आप को सामान्य करने की कोशिश करने लगी पर ध्यान उधर ही था। 

     कुछ देर बाद जब रोहन (उसके पति )घर आये तो उनको भी देख कर लगा की शिवानी आज कुछ अजीब सा व्यवहार कर रही है ,इतनी परेशान क्यूँ है ?पूछा "शिवानी  आज तुम्हारे चेहरे का रंग उड़ा हुआ सा  लग रहा है क्या बात है ?"
   बस शिवानी तो फिर जोर -जोर से रोने लग गयी और  रो -रो कर सारी गाथा गा दी के  उससे आज क्या हुआ है। रोहन  जोर से हंस पड़े "अच्छा तो फोन का ये इस्तेमाल हो रहा है !"  फिर बोले , "रोने वाली क्या बात है शिवानी ,       तुम्हारा नम्बर तो उनके पास है नहीं और जब कभी उनसे बात करनी हो तो मेरे फोन से कर लेना। "
यह सुन कर शिवानी  को कुछ सांत्वना पहुंची और अलमारी से फोन निकाल कर देखा तो सात मिस्ड -काल थी अब तो उसे भी बहुत हंसी आयी।
  (उपासना सियाग )
upasnasiag@gmail.com