(आईना ...)
" अरे बेटा ! तू झाड़ू हाथ में मत ले , झाड़ू लगाना कोई लड़कों का काम है ? "
" लेकिन माँ ! ये छोटू भी तो लड़का ही है ना ! तो यह झाड़ू क्यों लगा रहा है ? "
" ओह ,चलो भी यहाँ से !!"
" और छोटू !! तुझे हंसी क्यों आ रही है ? चल काम कर अपना !! "
उपासना सियाग
सुन्दर सोंच
जवाब देंहटाएंसटीक व सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसटीक चिंतन
जवाब देंहटाएंयही है अपने और पराये में फर्क और खाई बन जाती है धीरे धीरे ..
सोचनीय...
जवाब देंहटाएंयही तो अंतर है - मन में जानते हैं सब !
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