शराबी पति की मार से तंग आ कर सड़क किनारे गोद में बेटी लिए कमली सोच रही थी कि अब वह क्या करे !कहाँ जाए ? चेहरे को तो धूप से ढक लिया लेकिन जिंदगी कि हकीकतों की धूप से सामना तो अब करना ही था। सर पर छत ना सही लेकिन हौसले तो है ही। उसी हौसले ने उसे नई उड़ान भरने का संकल्प दिए। उसे क्या मतलब कि महिला दिवस क्या है और कब है ! अत्याचारी से मुक्ति मिली। अब हर दिन उसका है।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट DREAMS ALSO HAVE LIFE पर आपके सुझावो की
जवाब देंहटाएंप्रतीक्षा रहेगी।