" रमणी , तू क्या खाती है ! कितनी स्लिम ट्रिम है ! तेरा डाईट चार्ट लाना , मैं भी वही खाऊँगी कल से !" आमला चकित सी और थोड़ी ईर्ष्यालु सी हुई जा रही थी रमणी से कहते हुए।
रमणी जो कि जिम कि परिचारिका थी। भूख और हालात कि मारी हुई। जैसे- तैसे परिवार और छोटे बच्चे का पेट पाल रही थी।
भारी भरकम आमला का भार कई महीने से जिम आते हुए भी कम नहीं हो रहा था। ऐसे में शायद अनजाने में ही रमणी की डाइट- चार्ट पूछ बैठी।
अब रमणी क्या बताती कि वह सिर्फ गम खाती है। अच्छा खाना कब खाया था ,याद ही नहीं। लेकिन प्रकट में वह मुस्कुरा रही थी अपने होठों पर मोनालिसा की सी मुस्कान लिए।
रमणी जो कि जिम कि परिचारिका थी। भूख और हालात कि मारी हुई। जैसे- तैसे परिवार और छोटे बच्चे का पेट पाल रही थी।
भारी भरकम आमला का भार कई महीने से जिम आते हुए भी कम नहीं हो रहा था। ऐसे में शायद अनजाने में ही रमणी की डाइट- चार्ट पूछ बैठी।
अब रमणी क्या बताती कि वह सिर्फ गम खाती है। अच्छा खाना कब खाया था ,याद ही नहीं। लेकिन प्रकट में वह मुस्कुरा रही थी अपने होठों पर मोनालिसा की सी मुस्कान लिए।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (30-12-13) को "यूँ लगे मुस्कराये जमाना हुआ" (चर्चा मंच : अंक-1477) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अच्छा लिखती हो। सरल और सारगर्भित। मेरी शुभ कामनाएं।
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