जब से मेरी एक सज्जन से बहस हुयी है, मैं कन्फ्यूजन में हूँ कि क्या मेरे सचमुच माइंड नहीं है ??? उन सज्जन से मेरी मुलाकात सिर्फ फेसबुक पर ही हुयी और वो एक बहुत बड़ी संस्था से संम्बंध रखते है ........
एक दिन वो अचानक मुझसे मेरा हाल -चाल पूछने के बाद मुझसे पूछने लगे कि क्या आप सुखी हो ??? मैंने कहा जी हाँ !
वो बोले पूरा सच बताना ,मैंने कहा जी हाँ पूरा का पूरा सच !! मैं सुखी हूँ .......
तो कहने लगे कि क्या आप भगवान को मानते है ,तो मैं बोली कि जी हाँ मैं शिव जी कि भक्त हूँ .........तो उन्होंने मुझसे शिव जी से सम्बन्धित कई सारे सवाल किये ,मैंने सारे जवाब दे दिए ....तो उन्होंने कहा कि बातें बनाने में आज-कल सभी स्मार्ट है ........!! लो करलो बात अब मैंने सारे जवाब सही दे दिए तो मैं बातें बनाने लगी ..अब उनको क्या पता कि शिव जी मेरे साथ पिछले 29 सालों से है (वैसे तो हर जन्म से कृपा है उनकी पर,.. इस जन्म मैं मुझे 7july 1982 से कृपा महसूस होने लगी है ),......
फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि इस संसार में सुख ज्यादा है या दुःख ......तो मैंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि कोई भी इंसान दुखी है ,सबके आपने -अपने सुख है ,अगर कोई भी दुखी भी है तो वो दुसरे के सुख से ,तो वो बोले कि सिस्टर आपके माइंड ही नहीं है आप क्या बोल रही है ??? फिर मैंने भी बहस की उनसे कुछ देर तक............!!
मैं अधिकतर चुप ही रहती हूँ और शांत भी ,पर एक ओसामा मेरे भीतर भी निवास करता है जो कभी -कभी मुझ पर हावी हो जाता है तो वो मुझमे कुलबुलाने लगा था फिर मैंने ओसामा को शांत करते हुए उन सज्जन से बात बंद कर दी ...
अगले दिन जब मैंने उनको फिर से ऑन-लाइन देखा तो मुझे थोडा अफ़सोस सा हुआ कि मुझे बहस नहीं करनी चाहिए थी पता नहीं क्या ज्ञान देने वाले थे ...तो मैंने क्षमा मांगते हुए बात करनी चाही तो ,सबसे पहले अपनी खुद की तारीफों के पुल बाँध दिए ......फिर बोले अच्छा सिस्टर बताओ की भगवान क्या है ??
मैंने कहा आप ही बता दीजिये ,वो बोले क्यूँ आपको नहीं पता मैंने कहा जो मुझे पता है हो सकता वो आपको पसंद ना आये ...तो उन्होंने कहा कि नहीं आप ही बताओ ,फिर मैंने कहा तो सुनिए..........
आज -कल भगवान् कुछ भी नहीं है .सबके अपने -अपने भगवान है नेता का कुर्सी ,बच्चे का माँ ,एक भिखारी का भीख ,एक औरत का उसका पति ही भगवान् है ,जो मंदिर में भगवान है उसको कौन पूछता है ....इस मतलबी दुनिया के मतलब के ही भगवान् है मैं आगे ही बोलने वाली थी कि वो जोर से बोले (जोर से मतलब है कि उनकी लिखावट छोटी abcd से बड़ी ABCD में आगई थी )........सिस्टर आपका कुछ भी नहीं हो सकता .........आपके सचमुच ही माइंड नहीं है !!!!!
और मैं बिना बोले वापस कुर्सी पर बैठ कर उन सज्जन को बिना कहे कुछ भी आउट कर दिया ........!!
पर कन्फ्यूजन अभी भी बरकरार है ..........!!!!
:-)
जवाब देंहटाएंओसामा अपने तेवर दिखा दे अब.........
:))))))))))
हटाएंthanks
:):) आप उन सज्जन को ज़रा यह कह कर देखतीं कि आप दुखी हो ....तो वो ही आपके भगवान बनाने के लिए एड़ी - चोटी का ज़ोर लगा देते :):)
जवाब देंहटाएंhaan maine bhi yahi socha tha..........haha
जवाब देंहटाएंthanks
पहली दफा सुनीता जी की हलचल से यहाँ आना हुआ.
जवाब देंहटाएंआपको पढकर अच्छा लगा.
लिखावट छोटी abcd से बड़ी ABCD में आ गई...
वाह! अच्छी शैली है लेखन की,उपासना जी.
thank u so much Rakesh kumar ji.........
हटाएंमैं अधिकतर चुप ही रहती हूँ और शांत भी ,पर एक ओसामा मेरे भीतर भी निवास करता है जो कभी -कभी मुझ पर हावी हो जाता है तो वो मुझमे कुलबुलाने लगा था फिर मैंने ओसामा को शांत करते हुए उन सज्जन से बात बंद कर दी ...
जवाब देंहटाएंye kisi se poocne wali baat nhi hai.....aap saral hain...bhawook hain....chizon ke prti swendansheel hai....our kya chahiye aapko.....haathi baniye chlte rahiye kutte to bhounkte hi rahte hain.....apni chal dhimi n kijiyega.....chliye....chliye.....
bahut-bahut shukriya manohar ji.......:)))
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