अपनी - अपनी चिंता...
जल्दी -जल्दी से बढे जा रहे हैं रजनी के कदम। आज तो देर हो गयी। पहुँचते ही डांट पड़ेगी सर से। जिम में समय पर पहुंचना उसकी ड्यूटी है लेकिन छोटे बच्चे और भाई बहनों को सँभालते -सँभालते देर हो ही जाती है।
जिम पहुंचकर सर पर एक नज़र डाल कर जल्दी से पहुँच जाती है औरतों के समूह में जो उसके इंतजार में दुबली ( ? ) हो रही थी।
अब सभी के पैर थिरक रहे थे तेज़ संगीत की लय पर। हर -एक के एक साथ हाथ और पैर चल रहे थे।और दिमाग में सभी को अपने-अपने बढे हुए पेट सपाट करने की चिंता थी।
और रजनी ?
उसे भी तो चिंता थी अपने पेट को सपाट करने की , जो कि अंतड़ियों से चिपका हुआ था ...!
जल्दी -जल्दी से बढे जा रहे हैं रजनी के कदम। आज तो देर हो गयी। पहुँचते ही डांट पड़ेगी सर से। जिम में समय पर पहुंचना उसकी ड्यूटी है लेकिन छोटे बच्चे और भाई बहनों को सँभालते -सँभालते देर हो ही जाती है।
जिम पहुंचकर सर पर एक नज़र डाल कर जल्दी से पहुँच जाती है औरतों के समूह में जो उसके इंतजार में दुबली ( ? ) हो रही थी।
अब सभी के पैर थिरक रहे थे तेज़ संगीत की लय पर। हर -एक के एक साथ हाथ और पैर चल रहे थे।और दिमाग में सभी को अपने-अपने बढे हुए पेट सपाट करने की चिंता थी।
और रजनी ?
उसे भी तो चिंता थी अपने पेट को सपाट करने की , जो कि अंतड़ियों से चिपका हुआ था ...!
मंगलमय नव वर्ष हो, फैले धवल उजास ।
जवाब देंहटाएंआस पूर्ण होवें सभी, बढ़े आत्म-विश्वास ।
बढ़े आत्म-विश्वास, रास सन तेरह आये ।
शुभ शुभ हो हर घड़ी, जिन्दगी नित मुस्काये ।
रविकर की कामना, चतुर्दिक प्रेम हर्ष हो ।
सुख-शान्ति सौहार्द, मंगलमय नव वर्ष हो ।।
ऱचना
जवाब देंहटाएंदो भाव लिये
दो आवश्यकता लिये
बहुत भाई ये रचना
सादर
wahhhh sahi hai
जवाब देंहटाएंwaha upasna
जवाब देंहटाएंअपनी अपनी चिंता ...
जवाब देंहटाएंमजबूरी की झलक लिए ...
सचाई से रूबरू कराती प्रस्तुती सार्थक प्रस्तुती
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू