25/02/2022
कई लोगों की आदत होती है बात छुपाने की। मैं इसे ' कुल्हड़ में गुड़ फोड़ना ' कहती हूँ। मतलब कि कुल्हड़ में गुड़ फोड़ोगे तो नतीजा क्या निकलेगा ? गुड़ के साथ कुल्हड़ भी तो फूटेगा न !
तो भई जरुरी नहीं है हर किसी को बात बताई जाये। लेकिन कोई तो ऐसा होना ही चाहिए जिसे मन की बात कही जा सके। हो सकता है हल न निकले , मन तो हल्का हो ही जायेगा।
यह आदत स्त्री - पुरुषों , दोनों में हो सकती है।
कई लोग सोचते हैं , सामने वाला खुद ही उनको समझ जाये और उनके मन के अनुरूप व्यवहार करे , उनकी जरूरतें पूरी कर दे। अरे भई , आपके कोई बल्ब तो नहीं लगा कि इस रंग की बत्ती जली तो ये बात है , और उस रंग की बत्ती जली तो वो बात है। खुल कर बोलिये। विरोध कीजिये। और अपनी बात रखिये हक़ से !
बहुत लोग होते हैं जो बोलते नहीं फिर भी उनके हाव -भाव बता देते हैं कि उनको क्या समस्या है। मेरे लिए उनके लिए एक ही सलाह है , बिन रोये तो माँ भी दूध नहीं पिलाती !
खरी खरी बात
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