बालकनी में टंगे पिजंरे में बने छोटे से झूले पर झूलता तोता, 'ट्वी -ट्वी ' कर रहा था। पास ही पेड़ पर एक तोता भी 'ट्वी -ट्वी ' कर रहा था। शायद पिंजरे वाला तोता उसी से बतिया रहा था। पास ही कुर्सी पर बैठी कोमल दोनों की आवाजों में अंतर को सुन और पहचान रही थी। बाहर वाले तोते से पिंजरे वाले तोते की आवाज़ कितनी कर्कश थी। परतन्त्रता की एक पीड़ा भी झलक रही थी।
आराम कुर्सी पर झूलती हुई कोमल सोच रही थी कि तोते और उसके जीवन में कितना साम्य है। दोनों ही पिंजरे में है। एक लोहे के रुपहले रंग में रंगे पिंजरे में और वह सोने के पिंजरे में !वह धीरे से उठी और पिजंरे का दरवाजा खोल दिया। यह क्या ? तोते ने तो बाहर निकलने का प्रयास ही नहीं किया।
कोमल ने धीरे से हाथ से पकड़ कर उसे बाहर निकालना चाहा तो वह पिंजरे की दीवार से की ओर सरक गया। फिर भी कोमल ने उसे पकड़ कर बाहर निकालने की कोशिश की। तभी मुख्य दरवाजे पर आहट हुई। तोता हाथ से छूट गया और वह झट से पिंजरे का दरवाजा बंद कुर्सी पर बैठ गई। उसकी कलाई तक चूड़ियां पायल खनक गई !
आराम कुर्सी पर झूलती हुई कोमल सोच रही थी कि तोते और उसके जीवन में कितना साम्य है। दोनों ही पिंजरे में है। एक लोहे के रुपहले रंग में रंगे पिंजरे में और वह सोने के पिंजरे में !वह धीरे से उठी और पिजंरे का दरवाजा खोल दिया। यह क्या ? तोते ने तो बाहर निकलने का प्रयास ही नहीं किया।
कोमल ने धीरे से हाथ से पकड़ कर उसे बाहर निकालना चाहा तो वह पिंजरे की दीवार से की ओर सरक गया। फिर भी कोमल ने उसे पकड़ कर बाहर निकालने की कोशिश की। तभी मुख्य दरवाजे पर आहट हुई। तोता हाथ से छूट गया और वह झट से पिंजरे का दरवाजा बंद कुर्सी पर बैठ गई। उसकी कलाई तक चूड़ियां पायल खनक गई !
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "१४ अगस्त और खुफिया कांग्रेस रेडियो “ , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार
हटाएंसुन्दर ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार
हटाएंवाह..
जवाब देंहटाएंआजादी व गुलामी का स्वच्छ उदाहरण
हार्दिक आभार
हटाएंबहुत सुदंर रचना । शायद सभी की कहानी एक सी है । दिल को स्पर्श गई ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार
हटाएंबहुत सुदंर रचना । शायद सभी की कहानी एक सी है । दिल को स्पर्श गई ।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-08-2016) को "एक गुलाम आजाद-एक आजाद गुलाम" (चर्चा अंक-2436) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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७० वें स्वतन्त्रता दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार
हटाएंहार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर.....स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
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