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रविवार, 1 जुलाई 2012

तो पावर कट अच्छे हैं .......

गर्मी के उमस भरे दिनों में  हर कोई अपने ठन्डे- ठन्डे कमरों में ही रहना पसंद करता है. आज कल हर कमरे में अपने - अपने सुविधा  के  अनुसार  टेलीविजन या संगीत सुनने के साधन होते है . हर कोई अपना समय अपने तरीके से बिताना पसंद करने लगा है . लगभग यही दृश्य हर घर में होता है सभी अपने कमरों में बंद हो कर कोई टी वी देख रहा होता है तो कोई आँखे बंद कर संगीत का आनंद ले रहा होता है तो कोई मायूसी से किताब के पन्ने ही पलट रहा होता है क्यूँ की उसका मन करता है किसी से बात की जाये पर किसी को समय नहीं है ...
 ए सी या कूलर ,घर  या कमरा तो ठंडा कर रहे होते हैं पर साथ में रिश्तों की गर्माहट भी कम कर रहे होते है .ए सी ,कमरे की सारी नमी को सोख कर कमरों को ठंडा तो करता है पर लोगों के रिश्तों को भी ठंडा कर के दिलों पर बर्फ ज़माने का काम भी करता है .
अब क्या करें गर्मी ही इतनी है कोई बाहर निकलना ही नहीं चाहता .सभी अपने -अपने खोल में सिमटने से लगे हैं ...
लेकिन अचानक क्या होता है ,सब कुछ शांत सा हो जाता है और सभी अपने अपने कमरों से बाहर निकलने लगते हैं और एक जगह इक्कठा होने लग जाते है क्यूँ कि "लाईट चली गयी"...!
अब अगर पावर - कट अगर निर्धारित समय के लिए हैं तो कोई बात नहीं झेला भी जा सकता है पर अक्सर ऐसा नहीं होता .अगर एक बार बिजली चली जाती है तो आने का कोई भी समय नहीं होता .इसलिए  सभी के एक जगह इक्कठा होने का कारण भी होता है क्यूँ कि दिन तो बातें कर के कट जायेगा पर अगर रात को भी लाईट ना रही तो नींद कैसे आएगी ...इसीलिए ,क्यूंकि इनवर्टर की पावर को बचा कर जो रखना है .तो एक ही छत के नीचे ही क्यूँ ना बैठा जाये .
और जब सब लोग बैठेंगे तो स्वाभाविक ही है कोई चुप तो रहेगा ही नहीं .बोलना तो पड़ेगा ,ये तो मानव स्वभाव है कि चुप नहीं रह सकता ...और फिर ना जाने कितनी बातें निकलेंगी, पुरानी यादे भी कोई आस पास की तो कोई समाचार पत्र से ही कोई बात निकल लायेगा ....हंसी - खिलखिलाह्टों से घर ही गूंज उठता है ...कभी ये कट रात को होता है तो  लोग अपनी छतो या अगर खुला लान होगा तो वहां बैठ कर अपना सुख -दुःख साँझा करते है .कई बार जो बातें मन में रह जाती है वो सभी कर ली जाती है और कोई शिकवा शिकायत हो वो भी दूर हो जाता है .
अब कोई पास ही नहीं बैठेगा तो क्या बातें होंगी और ये सब पावर -कट के बिना कहाँ संभव होता है भला ...! तो एक मशहूर विज्ञापन की तर्ज़ पर ...." अगर पावर -कट लगने से कुछ अच्छा होता है तो पावर-कट अच्छे हैं "....!
क्यूँ ना हो ये दिलों पर जमी बर्फ तो दूर करता ही है  ,लोग और करीब आते है ,रिश्ते भी मज़बूत होते हैं ....तो अगली बार पावर कट लगे तो कोसिएगा नहीं ......जो होता है अच्छे के लिए ही होता है ,जीवन में हर बात का एक सकारात्मक पहलू भी होता है .

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपके ब्‍लाग को युनिक ब्‍लाग पर लिंक किया गया है ब्‍लाग को ज्‍वाईन कर लिया है आप भी करे तो खुशी होगी


    युनिक तकनीकी ब्‍लाग---------म्‍हारों राजस्‍थान

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  2. वाकई ... पावर कट अच्छे हैं ..... वहाँ क्या हो जहां पावर बैक अप रहता हो ?

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  3. सच्ची बहुत अच्छे हैं...........

    जाने ये इन्वर्टर और जनरेटर कहाँ से आ गए....
    :-(

    सादर
    अनु

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  4. bilkul sahi kaha aapne simte riste hamare beech duriya badha rahe hai

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  5. ." अगर पावर -कट लगने से कुछ अच्छा होता है तो पावर-कट अच्छे हैं "....! बिल्‍कुल सच

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  6. ए सी या कूलर ,घर या कमरा तो ठंडा कर रहे होते हैं पर साथ में रिश्तों की गर्माहट भी कम कर रहे होते है .ए सी ,कमरे की सारी नमी को सोख कर कमरों को ठंडा तो करता है पर लोगों के रिश्तों को भी ठंडा कर के दिलों पर बर्फ ज़माने का काम भी करता है .

    .....बहुत सच कहा है...आज घर में एक साथ रहते हुए भी एक दूसरे से अनजान होते जा रहे हैं...बहुत सार्थक आलेख..

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