सोच
दादी नन्ही सी पोती को दुलरा रही थी, " ये तो मेरी सरोजनी नायडू है, रानी लक्ष्मी है, मेरी लता मंगेश्कर है."
माँ ख्यालों में गुम हुई सी बोली, " मैं तो मेरी बेटी को विदेश भेजूंगी, यहाँ क्या रखा है? "
दादी एक नज़र अपनी बहू पर डालते हुए पोती को फिर से दुलराने लगी, हाँ- हाँ. मेरी गुड़िया तो सारा संसार घूमेगी फिर रॉकेट में बैठ कर चाँद पर जायेगी...."
और वहाँ से बोलेगी , " सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा.."
उपासना सियाग (अबोहर)