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बुधवार, 27 अप्रैल 2022

सोच

सोच
    दादी नन्ही सी पोती को दुलरा रही थी, " ये तो मेरी सरोजनी नायडू है, रानी लक्ष्मी है, मेरी लता मंगेश्कर  है."
       माँ ख्यालों में गुम हुई सी बोली, " मैं तो मेरी बेटी को विदेश भेजूंगी, यहाँ क्या रखा है? "
        दादी  एक नज़र अपनी बहू पर डालते हुए पोती को फिर से दुलराने लगी, हाँ- हाँ. मेरी गुड़िया तो सारा संसार  घूमेगी फिर रॉकेट में बैठ कर चाँद पर जायेगी...."
    और वहाँ से बोलेगी , " सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा.."
उपासना सियाग (अबोहर)