नयी -नयी लेखिका सुरभि ने पाया कि इंरटनेट लेखन का अच्छा माध्यम है। यहाँ ना केवल लिखने का ही बल्कि अच्छा लिखने वालों को पढ़ना भी आसान है। उसने कई लिखने वालों को फॉलो करना शुरू किया। जिनमे से एक अच्छे लेखक थे जो कि लिखते तो अच्छा ही थे पर दर्शाते उससे भी अधिक थे।
सुरभि उनकी सभी पोस्ट पढ़ती , लाइक भी करती थी। लेकिन संकोची स्वभाव होने के कारण टिप्पणी कम ही कर पाती थी क्यूंकि वह सोचती कि लेखक महोदय इतने महान है तो वह क्या टिप्पणी करे। एक दिन वह उन तथाकथित लेखक महोदय की पोस्ट देख कर चौंक पड़ी।
लिखा था , " आज से छंटनी शुरू ! जो मेरी पोस्ट पर नहीं आते उनको रोज थोड़ा-थोड़ा करके अलविदा करुँगा। "
सुरभि ने चुपके से देखा कि वह , वहां है कि नहीं ? उस दिन तो वह वहीं थी।
कुछ दिन बाद उसे ध्यान आया कि आज- कल उन आदरणीय-माननीय लेखक जी की कोई पोस्ट तो नज़र ही नहीं आती !
झट से देखा ! ये क्या ? सुरभि जी का भी पत्ता कट चुका था !
वह लेखक जी के इनबॉक्स में पूछ बैठी ," मैं तो आपके लेखन की नियमित पाठक थी ! फिर भी ?
" मैंने तो आपको कभी देखा नहीं....., " दूसरी और से दम्भ भरा जवाब था।
" हार्दिक धन्यवाद ! " सुरभि ने भी कह दिया।
सोचा, " ऐसे बहुत लेखक हैं , हुहँ !"
तीन - चार दिन बाद इनबॉक्स उन लेखक महोदय जी का गुड -मॉर्निग का सन्देशा था।
सुरभि ने कहा , " आप कौन ? "
सोमवार, 12 अगस्त 2019
आप कौन ?
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (14-08-2019) को "पढ़े-लिखे मजबूर" (चर्चा अंक- 3427) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
bahut shukriya ji
हटाएंbahut khubsurat haqiqat, upasna ji
जवाब देंहटाएंNice blog.
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